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स्नातक स्तर पर अनुसंधान

शोध 

  • शोध PCGE में केंद्रिय गतिविधि है। यह विद्यार्थियों में नवोन्मेष और रचनात्मकता को विकसित करती है। जो कुछ पुस्तकों में लिखा है विद्यार्थियों को उससे आगे सोचने, सामाजिक सरोकारों, समस्याओं के समाधान खोजने की मजबूत दृष्टि विकसित करने के लिए PCGE में शोध को बढ़ावा दिया जाता है।

शोध वातावरण

   PCGE में एक शोध समिति (Research Committee) है जो पूर्ण रूप से परिभाषित नीतियों के आधार पर शोधोन्मुख वातावरण का निर्माण करने के लिए प्रयासरत है। विद्यार्थियों में अनुसंधान प्रवृत्ति विकसित करने के लिए वाक्य में मूल शब्द, अनुच्छेद में मूल विचार ढूँढ़ने तथा अध्याय में मूल अवधारणा की खोज करने, किताब की अवधारणा को वास्तविक जीवन से जोड़कर देखने और अंत में जीवन की वास्तविकताओं से नई अवधारणा का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

  • शोध परियोजनाओं के माध्यम से शिक्षक और विद्यार्थियों को सक्षम बनाने का प्रयास किया जाता है।
  • PCGE में शोध-प्रविधि एवं शोध-अभिवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लिए शोध कार्य में विशेष रूप से विख्यात प्रोफेसरों के व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।
  • PCGE के शिक्षक की निगरानी में विद्यार्थियों को सर्वेक्षण और फील्ड कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों से शोधकार्य/केस स्टडी आदि करवाई जाती है।
  • शिक्षक एवं विद्यार्थियों द्वारा किए गए शोधकार्य के पूर्ण होने के पश्चात् फील्ड सर्वेक्षण और रिपोर्ट के अनुभवों को साझा करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाते हैं।
  • विद्यार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा शोध-पत्र प्रस्तुत करवाने के लिए राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं तथा उन्हें अन्यत्र भी होनेवाले संगोष्ठी आदि में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है।

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियाँ

  • PCGE दो अंतरराष्ट्रीय व छह राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ आयोजित कर चुका हैं जोकि अंतर-अनुशासनात्मक (inter-disciplinary) विषयों को लेकर रही हैं।

शोध प्रक्रिया :

   PCGE की अनुसंधान समिति ने आधिकारिक रूप से अनुसंधान के निम्नलिखित मूल्य प्रस्तावित किए हैं –

  • PCGE के शिक्षक एवं विद्यार्थियों द्वारा किया गया शोध समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए।
  • विद्यार्थियों द्वारा पर्यवेक्षण के साथ किया गया शोध कार्य जिसमें डेटा का संग्रह, विश्लेषण और परिकल्पना तैयार करने का कार्य शोध का मूल आधार होना चाहिए।
  • डेटा प्राथमिक स्रोतों से प्राप्त होना चाहिए, यदि इसे द्वितीयक स्रोतों से लिया गया है तो उसे उच्च प्रतिष्ठित एजेंसियों से प्रामाणिकता के साथ ही अधिगृहीत किया जाना चाहिए।
  • व्यक्तिगत स्तर पर संगृहीत डेटा आधिकारिक रूप से सत्यापित होना चाहिए।
  • रिपोर्ट को मूल रूप से शोधकर्त्ता द्वारा ही लिखा जाना चाहिए।
  • शोधकर्ता को अनुसंधान पद्धति के उच्च मानकों का पालन करना चाहिए।
  • शोध कार्य गुणवत्तापूर्ण हो ताकि शोध की रिपोर्ट का सार राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हो सके।
  • यदि कोई भी छात्र या शिक्षक इस आचार संहिता का पालन नहीं करता है, तो उसे कम-से-कम तीन विषय-विशेषज्ञों और कॉलेज के संकाय सदस्य द्वारा गठित उप-समिति के निर्णय द्वारा अनुसंधान-कार्य से वंचित किया जा सकता है। इस उपसमिति का गठन अनुसंधान समिति द्वारा किया जाता है।

शोध का स्वरूप :

  • वाक्य में बीज शब्द (Key word) ढूँढ़ने से लेकर उनके अपने गाँव में पानी से संबंधित संकट का उपाय खोजने तक की शोध गतिविधियों से छात्र-छात्राओं को जोड़ा जाता है। दीपावली अवकाश पर सभी छात्र-छात्राओं को अपने-अपने गाँवों, कस्बे या शहर की किसी न किसी समस्या विशेष पर शोध कार्य के सर्वेक्षण का कार्य दिया जाता है।
  • PCGE के शिक्षकों और छात्रों को उनके अनुसंधान के प्रति उनके दृष्टिकोण को उन्मुख करने, उनकी सहायता करने, परिकल्पना तैयार करने, प्रश्नावली तैयार करने, साक्षात्कार आयोजित करने, डेटा एकत्र करने, डेटा का विश्लेषण करने के लिए उचित मार्गदर्शन दिया जा रहा है कि वे मानक भाषा में अपने विश्लेषण और विवरण को उचित क्रम में प्रतिवेदन लिख सकें।
  • PCGE के शोध के इच्छुक विद्यार्थी अपने लक्ष्य से गंभीर रूप से जुड़ते हैं, स्वयं सर्वेक्षण आदि करके सीखने की प्रवृत्ति को विकसित करते हैं इसप्रकार अपने शोध के प्रति अधिक उत्तरदायी होते हैं और अपने व्यवहार में अधिक नवाचारी एवं रचनात्मक होते जाते हैं।
  • PCGE के रिसर्च की खास बात यह है कि इसमें स्नातक व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की अधिकतम भागीदारी होती है। उनको छोटे-छोटे रिसर्च प्रोजेक्टस द्वारा सामाजिक यथार्थ व शोध दृष्टि को विकसित करने में मदद मिलती है और इसी सामथ्र्य को विकसित करते हुए PCGE के विद्यार्थी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमीनारों में शोध-पत्र प्रस्तुत करने लगते हैं। सत्र 2017-18 एवं 2018-19 में A., BCom, BSc के लगभग 250 विद्यार्थियों ने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमीनारों में शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं।

शोध के लिए सुविधाएँ

  • PCGE में अनुसंधान संस्कृति को छात्रों के बीच बढ़ाने के लिए, उनकी रुचि बढ़ाने के लिए, छोटी-छोटी अनुसंधान परियोजनाओं को विकसित किया जाता है।
  • PCGE के विद्यार्थी को अनुसंधान गतिविधियों के लिए पुस्तकालय, इंटरनेट और उचित गतिविधियों के लिए उपकरण आदि सुविधाएँ विद्यार्थियों को प्रदान की जाती हैं।
  • PCGE में वनस्पति विज्ञान, प्राणिविज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी, कम्प्यूटर विज्ञान और भूगोल के लिए प्रयोगशालाएँ नवीनतम उपकरणों से समृद्ध हैं और अनुसंधान के लिए उपलब्ध हैं।
  • पुस्तकालय में अनुसंधान के लिए शिक्षकों और छात्रों की आवश्यकतानुसार अनुसंधान से संबंधित पुस्तकें प्रत्येक वर्ष खरीदी जाती हैं।
  • शिक्षकों की राय पर सभी विषयों की शोध-पत्रिकाओं की सदस्यता पुस्तकालय में ली जाती है।
  • PCGE के पुस्तकालय में अनुसंधान गतिविधियों के लिए 1,35,809 पुस्तकें और 6,237 पत्रिकाओं सहित ई-लाइब्रेरी और इन​िफ्ल्बनेट सुविधा उपलब्ध हैं।
  • कॉलेज में फ्री वाई-फाई की सुविधा भी उपलब्ध है ताकि इस युग में इंटरनेट के जरिये विद्यार्थी एवं शिक्षक विश्व स्तर पर की जाने वाली नई-नई शोध से परिचित हो सके।
  • PCGE के सभी शिक्षकों और छात्रों को कॉलेज प्रबंधन द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमीनारों और सम्मेलनों में बड़े पैमाने पर भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।

 लघु अनुसंधान परियोजनाएँ

  • PCGE में स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को छोटे-छोटे विषयों पर लघु अनुसंधान परियोजनाएँ दी जाती हैं जिससे न सिर्फ विद्यार्थियों में अपितु शिक्षकों में भी अनुसंधान अभिवृत्ति (research aptitude) का विकास होता है।
  • ये शोध परियोजनाएँ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के अतिरिक्त होती हैं। अनुसंधान से छात्रों की रुचि को नए आयाम मिलते हैं।
  • विद्यार्थी नए विषयों तथा क्षेत्रों में अनुसंधान कर सकते हैं जहाँ वे समाज की कई समस्याओं से रूबरू होकर तथा उनके हल भी खोज सकें।
  • इस अनुसंधान प्रक्रिया से छात्र की रचनात्मकता तथा अन्वेषण क्षमता का विकास होता है।

PCGE में शोध कार्य:

  • PCGE के कई शिक्षकों का D. कार्य चल रहा है। ये शिक्षक विभिन्न विश्वविद्यालयों के विषय-विशेषज्ञों के साथ अनुसंधान विधियों एवं मॉडल शोध-पत्रों को लिखने में व्यस्त हैं।
  • PCGE के शिक्षक अपनी विषय प्रकृति के अनुसार महत्त्वपूर्ण विषयों पर शोधकार्य करने में लगे हुए हैं। यह कॉलेज द्वारा छोटी-छोटी शोध योजनाओं पर कार्य करने एवं शिक्षणविधियों में क्रांति लाने के लिए एक अभिनव कदम है।
  • PCGE परियोजनाओं को लेने के लिए विषयवार अनुसंधान-कौशल विकसित करने में प्रयत्नशील है। छात्रों की रुचि और भागीदारी बढ़ाने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित किया जाता है। अनुसंधान-प्रवृत्ति के साथ-साथ संयुक्त प्रायोगिक शिक्षण सीखने की प्रक्रिया एवं छोटी-छोटी शोध परियोजना पर PCGE के विद्यार्थी संलग्न रहते हैं।
  • PCGE प्रबंधन समय-समय पर यह जानकारी लेता रहता है कि पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं और उपकरणों के संदर्भ में प्रदान की जानेवाली अनुसंधान सुविधाओं का उपयोग शिक्षकों और छात्रों द्वारा पूरी तरह से उठाया जा रहा है या नहीं।
  • PCGE में शिक्षकों और छात्रों सभी में अनुसंधान-दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है अत: अनुसंधान की ओर शिक्षक और छात्रों का झुकाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

शोध हेतु सम्मान

  • PCGE ने विद्यार्थियों द्वारा की जानेवाली शोध गतिविधियों को महत्ता देने के लिए कई प्रकार के शोध-सम्मानों की शुरुआत की। महाविद्यालय ने 2014-15 में 80 विद्यार्थियों को उनके शोधकार्य के लिए प्रमाण पत्र दिए हैं और 2015-16 में 583 विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्रों से सम्मानित किया गया है। परिणामस्वरूप, कई विद्यार्थियों में शोधकार्य करने हेतु रुचि जाग्रत हुई है और वे इस दिशा में बड़े उत्साह से कार्य कर रहे हैं। सत्र 2017-18 एवं 2018-19 में 250 विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में रिसर्च पेपर पढ़े हैं।
  • शिक्षकगण को प्रोत्साहित करने के लिए शोध समिति ने यह निर्णय लिया है कि यदि कोई शिक्षक लघु स्तर पर शोध प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरा करेगा तो उस शिक्षक को ‘शोध सम्मान’ व 5000/- का कैश इनाम दिया जाएगा। इसी प्रकार से वृहत् स्तर पर रिसर्च प्रोजेक्ट पूरा करने पर 10,000/- का कैश इनाम और ‘शोध वारिधि’ की उपाधि प्रदान की जाएगी।

शोध पत्रिका- परिमर्श

   ‘परिमर्श’ PCGE द्वारा प्रकाशित अंतर-अनुशासनात्मक शोधपत्रिका है। इस शोधपत्रिका का उद्देश्य छोटी-छोटी शोध गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है। इसमें कॉलेज के शोधार्थियों के लेखों के अलावा देश के अन्य शोधकर्ताओं के शोध-पत्रों को भी प्रकाशित किया जाता है। यह शोध-संगोष्ठियों की रिपोर्ट भी प्रकाशित करती है। अक्टूबर, 2016 के अंक से परिमर्श ‘रेफरीड जरनल’ बन गया है।